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एक धार्मिक परिवार ब्राह्मण कुल और ब्रज के वासी स्वामी श्री रामस्वरूप जी के बड़े बेटे की पत्नी ने 20 अक्टूबर 1980 को अपने कुल में जन्म दिया एक बालक को ! वृंदावन की पावन भूमि में जन्म हुआ स्वामी जी के सुपौत्र श्री राम बल्लभ शर्मा जी का ! बचपन से ही ओजस्वी प्रतिभा, घर के संस्कारों का रुचि से पालन, और दादाजी श्री राम स्वरुप शर्मा जी के साथ रासलीला के रूप में अध्यात्म में रूचि होने के कारण आपको बचपन से ही दादाजी के लाडले रहे ! आप की शिक्षा वृंदावन एवं उच्च शिक्षा दिल्ली से हुई ! किंतु वृंदावन और रासलीला के प्रति आपका झुकाव एवं आकर्षण था वह धीरे-धीरे निष्ठा के रूप में तब्दील हुई और परिणाम स्वरुप अपने दादा जी के साथ 15 वर्ष की आयु में पहली बार रासलीला का निर्देशन सफलतापूर्वक किया ! निर्देशन के साथ आपकी रुचि गायन की तरफ भी थी और आपने अपने दादा जी से गायन की शिक्षा भी ली ! समय-समय पर वृंदावन धाम में आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में आप भाग लेते देखे गए ! संतो के दर्शन एवं संतों की विशेष कृपा जैसे कि श्री राजेंद्र दास जी महाराज, गुरु शरणानंद जी महाराज, श्री मनोज मोहन शास्त्री जी अन्य संतों का आशीर्वाद आप पर हमेशा रहा ! रासलीला को दादा जी के साथ देश के कोने-कोने में पहुंचाने में आप का एक महत्वपूर्ण सहयोग रहा है ! दादा जी के साथ अपने देश में कई सारी रासलीला, रामलीला एवं श्री गौरांग लीला सफलतापूर्वक किया है ! जब दादा जी लगातार दो बार MLA के पद से सुशोभित रहे तब आपने भी दादाजी के अनुसार विभिन्न क्षेत्रों में सुधार एवं वृंदावन मथुरा में कई प्रकार के विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करवाया ! 15 दिन तक 50 से भी अधिक लोगों को संभालना उनका खाना-पीना कपड़े आदि इत्यादि सब चीजों का ध्यान रखना एवं परस्पर हर चीज में सहयोग बनाए रखना इस कला में या यु कहे इस मैनेजमेंट में आपका कोई जवाब नहीं है ! दादाजी श्री रामस्वरूप जी महाराज के लोक गमन के पश्चात आपने रासलीला की बाग़ डोर बहुत ही अच्छी रूप से संभाली है ! आज भी देश के विभिन्न स्थानों पर रासलीला के माध्यम से अपने दादाजी का नाम ऊंचा कर रहे हैं !

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