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!! जय श्री राधे !!
!! वृन्दावन धाम की  जय हो !!
PADAMSHRI SWAMI

 पद्मश्री स्वामी

रामस्वरूप शर्मा

RAM SWAROOP SHARMA
परम पूजनीय पंडित बाबा संत श्री गया प्रसाद जी महाराज
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PADAM SHRI YATRA

 GOLDEN   MOMENT

पद्मश्री स्वामी रामस्वरूप शर्मा एक परिचय

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PADAM SHREE SWAMI RAM SWARUP SHARMA

AN INTRODUCTION

!! ब्रज रासलीला !!

!! और  !!

!! रासाचार्य स्वामी रामस्वरूप शर्मा !!

यह अकाट्य सत्य है की भारतीय संस्कृति की आत्मा भारतीय आध्यात्म और दर्शन में वास करती है ! यही कारण है कि भारतीय सभ्यता और संस्कृति को सनातन माना गया है ! यह एक ऐसा अतर्क्य सत्य है जो किसी भी काल में झूठलाया नहीं जा सकता ! हजारों वर्षों का हमारा प्राचीन साहित्य इसका पूर्ण साक्षी है !

भारतीय संस्कृति के सतत उत्थान में ब्रज की रासलीला ने जो योगदान किया है वह चिरंतन-काल तक अविस्मरणीय रहेगा ! ब्रज रास लीला के आदि-प्रवर्तक श्री उद्धव घमंड देवाचार्य की प्रज्ञात्मक चेतना विलक्षण थी ! उन्होंने ब्रज के कमई करहला ग्राम में ब्रज रासमंच की अवधारणा कर ब्रिज-रासलीला की ऐसी सलिला प्रवाहित की जिसमें अवगाहन कर त्रिताप संतप्त मानस को परम शांति की अनुभूति हुई ! ब्रज की रासलीला में भारतीय धर्म व दर्शन भक्ति और भाव रस और राग, लोक और परलोक, इन सभी आध्यात्मिक तत्वों का समाहार परिलक्षित होता है ! ब्रज की रासलीला रस और प्रेम की लीला है ! यह रस और प्रेम श्री राधा कृष्ण के चिंतन चिरंतन व शाश्वत क्रीड़ा-बिहार से नि:सृत निश्चित होकर सृष्टि के कण-कण को रसिक व् प्रेम से सरोवर कर देता है ! निसंदेह ये रासलीला भिन्न-भिन्न जनों की रुचि का विषय है ! यह रसुवेश आनंदकंद पूर्ण पुरुषोत्तम श्री कृष्ण चंद्र और उनकी परमहालदानी शक्ति श्री राधा की आनंदमई रस-क्रीडा को उनके अनुकरण के माध्यम से प्रकट कर देती है ! जिसे देखकर दर्शक आत्म विभोर हो उठता है !

ब्रज के भक्तों की व रसिकों की भाव से युक्त पदावली को श्री उद्धव घमंड देवाचार्य तथा उनके प्रमुख वंशजो में स्वामी मदनलाल, स्वामी मेघ श्याम व् अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त रासाचार्य पद्मश्री स्वामी रामस्वरूप शर्मा ने राग-रागनियों का परिधान धारण कराया ! स्वर व ताल के मौलिक कंठहार पहनाये ! पगो में नूपुर धारण करा कर मृदंग की थाप पर थिरकन प्रदान की और राधा कृष्ण की लीला अनुकरण से उसे जो रोचकता, मोहकता और चित्रात्मकता प्रदान की है वह सर्वथा अनिर्वचनीय है !

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